विमुञ्चति यदा कामान्मानवो मनसि स्थितान्
तर्ह्रोव पुण्डरीकाक्ष भगवत्त्वाय कल्पते ।।
जिस समय मनुष्य अपने मन में रहनेवाली कामनाओं का परित्याग कर देता है उसी समय वह भगवान को प्राप्त हो जाता है।।
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